MA Semester-1 Home Science Paper-I - Advanced Nutrition And Institutional Management - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2693
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

प्रश्न- विटामिनों से क्या आशय है? इनके प्रकार, प्राप्ति के साधन एवं उनकी कमी से होने वाले रोगों के विषय में विस्तारपूर्वक लिखिए।

अथवा
विटामिन को कितने वर्गों में बाँटा गया है? प्रत्येक की व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. विटामिन्स के प्रकार बताइए।
2. जल में घुलनशील विटामिन्स के कार्य तथा कमी से होने वाले रोग बताइए।

उत्तर -

विटामिन

विटामिन कार्बनिक यौगिकों से निर्मित तत्व होते हैं। भोज्य पदार्थों में न्यूनाधिक मात्रा में ये तत्व पाए जाते हैं। अन्य पोषक तत्वों के चयापचय में भी इस तत्व की थोड़ी-बहुत मात्रा भोजन में होना अनिवार्य हैं इसके अभाव में अन्य पौष्टिक तत्व भी शरीर के लिए सफलतापूर्वक कार्य नहीं कर पाते। शरीर के विकास व वृद्धि के लिए अन्य पोषकक तत्त्वों के साथ-साथ विटामिन्स की उपस्थिति होना भी अनिवार्य है। आहार में इनकी कमी से विभिन्न प्रकार के हीनताजनित रोग हो जाते हैं। शरीर में कुछ विटामिन त्वचा द्वारा ही संश्लेषित हो जाते हैं; जैसे- विटामिन 'डी', परन्तु अधिकतर विटामिन्स को भोजन द्वारा प्राप्त करना पड़ता है।

सुरक्षात्मक तत्व के रूप में विटामिनों की उपयोगिता

विटामिन शरीर के स्वास्थ्य तथा परिचालन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। आहार में इनके समावेश से हम अभावजनित रोगों से बच सकते हैं, इसीलिए विटामिनों को 'सुरक्षात्मक तत्व' कहा जाता है। सुरक्षात्मक तत्व के रूप में विटामिनों की उपयोगिता का विवरण निम्नलिखित है-

(1) विटामिनों का मुख्य महत्त्व तथा उपयोगिता यह है कि आहार में इनकी उपस्थिति से शरीर को सम्बन्धित रोगों का मुकाबला करने की शक्ति प्राप्त होती है। यह भी कहा जा सकता है कि आहार में विटामिनों का समावेश होने की स्थिति में व्यक्ति अभावजनित रोगों का शिकार नहीं होता।

(2) विटामिनों का एक महत्व यह भी है कि इन्हें आहार के माध्यम से नियमित रूप से ग्रहण करने की स्थिति में व्यक्ति का स्वास्थ्य स्वास्थ्य बना रहता है तथा वह चुस्त एवं सक्रिय बना रहता है। यदि व्यक्ति के आहार में विभिन्न विटामिनों की कमी हो जाए या अभाव हो जाए तो व्यक्ति निश्चित रूप से सुस्त रहने लगता है तथा उसकी शारीरिक क्रियाशीलता तथा सामान्य स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

(3) विभिन्न अध्ययनों के आधार पर यह सिद्ध हो गया है कि आहार में विटामिनों के समावेश से व्यक्ति की भूख भी सामान्य बनी रहती है तथा आहार के प्रति उसकी रुचि बनी रहती है। इसके विपरीत, यदि व्यक्ति के आहार में विभिन्न विटामिनों की कमी हो जाए तो व्यक्ति की भूख कम हो जाती है तथा उसमें भोजन के प्रति अरुचि विकसित होने लगती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति सुस्त रहने लगता है तथा उसे हर समय नींद आती रहती है।

(4) आहार में विटामिनों के समावेश से व्यक्ति की कार्यक्षमता सामान्य बनी रहती है तथा वह शारीरिक श्रम वाले कार्य सरलता से कर सकता है। इसके विपरीत, यदि व्यक्ति के आहार में विटामिनों की कमी होती है तो व्यक्ति कमजोर तथा क्षीण होने लगता है और उसे हर समय थकावट अनुभव होती रहती है।

विटामिन्स के प्रकार

इन विटामिन्स को 'A',‘B’,'C’,‘D’,‘E’,‘K' आदि नाम दिए गए हैं। सन् 1915 में मेकोलम नामक वैज्ञानिक ने इनकी जल व वसा में घुलनशीलता के आधार पर निम्न प्रकार वर्गीकृत किया है-

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जल में घुलनशील विटामिन्स - ये विटामिन्स जल में घुलनशील होते हैं। ये शरीर में संश्लेषित नहीं किए जा सकते। अतः इनकी पूर्ति भोजन द्वारा करनी पड़ती है। आवश्यकता से अधिक शरीर में पहुँचने पर ये जल के साथ ही घुलित अवस्था में उत्सर्जित कर दिए जाते हैं। इस वर्ग के अन्तर्गत विटामिन 'B' व 'C' आते हैं।

वसा में घुलनशील विटामिन्स - विटामिन्स का दूसरा वर्ग है- 'वसा में घुलनशीहल विटामिन्स, ये विटामिन जल में नहीं घुलते परन्तु वसा में घुलनशील होते हैं। इस वर्ग के विटामिन शरीर में संश्लेषित हो जाते हैं परन्तु यह मात्रा शरीर की आवश्यकतानुसार पर्याप्त नहीं रहती। अतः इस आवश्यकता की पूर्ति सम्बन्धित भोज्य पदार्थों के माध्यम से करनी पड़ती है। शरीर में इनकी मात्रा आवश्यकता से अधिक होने पर संचित हो जाती है और यह स्थिति भी स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल तथा प्रायः हानिकारक होती है। इस प्रकार वसा में घुलनशील विटामिन्स की कमी तथा अधिकता दोनों ही हानिकारक होती हैं। वसा में घुलनशील विटामिन्स हैं-'A’,‘D’,‘E’तथा 'K'I

विटामिन्स के स्रोत एवं इनकी कमी से उत्पन्न रोग

विटामिन 'A' या रेटिनॉल

स्रोत - यह पौधों के कैरोटिन रंगों से निर्मित होता है। जन्तुओं के यकृत एवं आँत की कोशिकाओं में संचित रहता है। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, गाजर, मछली का तेल, कलेजी (जिगर) आदि इसके प्रमुख स्रोत हैं।

कमी से उत्पन्न रोग - विटामिन 'A' की कमी से रतौंधी (Night blindness) नामक रोग उत्पन्न हो जाता है। इस रोग में कम प्रकाश में स्पष्ट दिखाई नहीं देता है। त्वचा, कॉर्निया आदि में कोशिकाएँ सूखने लगती हैं और शल्कीभवन (Kerat inisation) हो जाता है। कॉर्निया के शल्कीभवन को जीरोफ्थैल्मिया रोग (Dry eyes) एवं शुष्क त्वचा के रोग को डर्मेटोसिस कहते हैं। व्यक्ति की वृद्धि बाधित होती है एवं वजन घटता है। इसकी कमी से गुर्दों में पथरी हो जाती है।

विटामिन 'B'

यह बारह विटामिन्स का समूह है। इन विटामिन्स को 'B' - कॉम्पलेक्स का सामूहिक नाम दिया जाता है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण विटामिन्स B1, B2, B6 तथा B12 हैं।

स्रोत - खमीर, यकृत, मछली, अण्डा, दूध, पनीर, हरी सब्जियाँ आदि विटामिन 'B' समूह के अधिकांश विटामिनों के स्रोत हैं।

कमी से उत्पन्न रोग - बेरी-बेरी विटामिन B या थायमिन की कमी से भूख लगनी बन्द हो जाती है तथा खाने . के प्रति रुचि कम हो जाती है। इसके अतिरिक्त पेशीय विकार, हृदय के आकार में वृद्धि, स्नायु विकार इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। पॉलिश किए (भूसा निकला हुआ) हुए चावल का प्रयोग इसका प्रमुख कारण है।

किलोसिस यह रोग विटामिन B12 या राइबोफ्लेविन की कमी से होता है। इस रोग में मुँह के कोने फट जाते हैं।

पेलेग्रा यह रोग विटामिन B या नियासिन की कमी से होता है। त्वचा में जलन, एग्जिमा, स्मृति का कमजोर होना, अतिसार आदि पेलेग्रा के प्रमुख लक्षण हैं। इन चार लक्षणों के कारण इसे 4-D सिण्ड्रोम भी कहा जाता है।

विटामिन 'C' या एस्कॉर्बिक अम्ल

स्रोत - यह विटामिन खट्टे एवं रसदार फलों, विशेषकर आँवला, नींबू, सन्तरा, नारंगी, अमरूद आदि में पाया जाता है। आँवला विटामिन 'C' का महत्वपूर्ण स्रोत है। '

कमी से उत्पन्न रोग - स्कर्वी मसूड़ों में सूजन तथा खून का आना, पेशियों तथा जोड़ों में दर्द के साथ सामान्य दुर्बलता, थकावट, शारीरिक भार में कमी तथा घाव का मन्द गति से भरना, इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

विटामिन 'D' या कैल्सिफेरॉल

स्रोत - इस विटामिन का सूर्य किरणों (पराबैंगनी किरणों) की उपस्थिति में हमारे शरीर में स्वतः संश्लेषण हो जाता है इसके अतिरिक्त दूध, मछली का तेल, अण्डा आदि इसके प्रमुख स्रोत हैं।

कमी से उत्पन्न रोग - विटामिन 'D' के अभाव में कैल्शियम की अधिकांश मात्रा मूत्र के साथ विसर्जित हो जाती है जिससे अस्थियों में कैल्शियम जमा नहीं हो पाता। इस कारण बच्चों में रिकेट्स तथा वयस्कों में ऑस्टियोमैलेसिया नामक रोग हो जाता है। रिकेट्स इसमें बच्चों की अस्थियाँ लचीली, कमजोर और विकृत हो जाती हैं। धुनषाकार टाँगें तथा घुटने का परस्पर टकराना विटामिन 'D' की हीनता के लक्षण हैं। पसलियों में आकार परिवर्तन से बच्चे का वक्ष विकृत हो जाता है ऑस्टियोमैलेसिया इसमें वयस्कों में विटामिन 'D' की कमी से अस्थियाँ भंगुरता हो जाती हैं।

विटामिन 'E' या टोकोफेरॉल

स्रोत - विटामिन 'E' गेहूँ, अण्डा, सोयाबीन, तेल आदि में पाया जाता है।

कमी से उत्पन्न रोग - इसकी कमी से कंकाल पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं। जनन अंग शिथिल हो जाते हैं।

विटामिन 'K' या नेफ्थोक्विनोन

स्रोत - हरी सब्जियाँ, टमाटर, सोयाबीन, अण्डा, दूध, पनीर आदि विटामिन K के प्रमुख स्रोत हैं।

कमी से उत्पन्न रोग - हीमोफीलिया इस रोग में रुधिर का थक्का नहीं जमता है। अतः चोट लगने पर रुधिर के स्राव को रोकना मुश्किल होता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- दैनिक आहारीय मात्राओं से आप क्या समझते हैं? आर.डी.ए. का महत्व एवं कार्य बताइए।
  2. प्रश्न- आहार मात्राएँ क्या हैं? विभिन्न आयु वर्ग के लिये प्रस्तावित आहार मात्राओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- संदर्भित महिला व पुरुष को परिभाषित कीजिए एवं पोषण सम्बन्धी दैनिक आवश्यकताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं से आप क्या समझते हैं? दैनिक प्रस्तावित मात्राओं को बनाते समय ध्यान रखने योग्य आहारीय निर्देशों का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  6. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  7. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिये एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  8. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  9. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित आवश्यकता की विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- प्रस्तावित दैनिक आवश्यकता के निर्धारण का आधार क्या है?
  11. प्रश्न- शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व कौन-कौन से हैं? इन तत्वों को स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में वर्गीकृत कीजिए।
  12. प्रश्न- भोजन क्या है?
  13. प्रश्न- उत्तम पोषण एवं कुपोषण के लक्षणों में क्या अन्तर है?
  14. प्रश्न- हमारे लिए भोजन क्यों आवश्यक है?
  15. प्रश्न- शरीर में जल की क्या उपयोगिता है
  16. प्रश्न- क्या जल एक स्थूल पोषक तत्व है?
  17. प्रश्न- स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में अंतर बताइये।
  18. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं? इसकी प्राप्ति के स्रोत तथा उपयोगिता बताइये।
  19. प्रश्न- मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी व अधिकता से क्या हानियाँ होती हैं?
  20. प्रश्न- आण्विक संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक लिखिए।
  21. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का मानव शरीर में किस प्रकार पाचन व अवशोषण होता है?
  22. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट की उपयोगिता बताइये।
  23. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट क्या है? इसके प्राप्ति के स्रोत बताओ।
  24. प्रश्न- प्रोटीन से क्या तात्पर्य है? मानव शरीर में प्रोटीन की उपयोगिता बताइए।
  25. प्रश्न- प्रोटीन को वर्गीकृत कीजिए तथा प्रोटीन के स्रोत तथा कार्य बताइए। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के बारे में भी बताइए।
  26. प्रश्न- प्रोटीन के पाचन, अवशोषण व चयापचय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- प्रोटीन का जैविक मूल्य क्या है? प्रोटीन का जैविक मूल्य ज्ञात करने की विधियाँ बताइये।
  28. प्रश्न- प्रोटीन की दैनिक जीवन में कितनी मात्रा की आवश्यकता होती है?
  29. प्रश्न- प्रोटीन की अधिकता से क्या हानियाँ हैं?
  30. प्रश्न- प्रोटीन की शरीर में क्या उपयोगिता है?
  31. प्रश्न- प्रोटीन की कमी से होने वाले प्रभाव लिखिए।
  32. प्रश्न- वसा से आप क्या समझते हैं? वसा प्राप्ति के प्रमुख स्रोत एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - वसा का पाचन एवं अवशोषण।
  34. प्रश्न- वसा या तेल का रासायनिक संगठन बताते हुए वर्गीकरण कीजिए।
  35. प्रश्न- वसा की उपयोगिता बताओ।
  36. प्रश्न- वसा के प्रकार एवं स्रोत बताओ।
  37. प्रश्न- वसा की विशेषताएँ लिखिए।
  38. प्रश्न- पोषक तत्व की परिभाषा दीजिए। सामान्य मानव संवृद्धि में इनकी भूमिका का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- विटामिनों से क्या आशय है? इनके प्रकार, प्राप्ति के साधन एवं उनकी कमी से होने वाले रोगों के विषय में विस्तारपूर्वक लिखिए।
  40. प्रश्न- विटामिन
  41. प्रश्न- विटामिन 'ए' क्या है? विटामिन ए की प्राप्ति के साधन तथा आहार में इसकी कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- विटामिन डी की प्राप्ति के साधन बताइये।
  43. प्रश्न- विटामिन सी की कमी से क्या हानियाँ हैं?
  44. प्रश्न- विटामिन डी की दैनिक प्रस्तावित मात्रा बताइये।
  45. प्रश्न- वसा में घुलनशील व जल में घुलनशील विटामिनों में क्या अन्तर है?
  46. प्रश्न- खनिज तत्वों से आप क्या समझते है? खनिज तत्वों का कार्य बताइए।
  47. प्रश्न- फॉस्फोरस एवं लोहे की प्राप्ति, स्रोत, कार्य व इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- कैल्शियम की प्राप्ति के साधन कार्य तथा इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- जिंक की कमी से शरीर को क्या हानि होती है? इनकी प्राप्ति के साधन उदाहरण सहित समझाइए।
  50. प्रश्न- आयोडीन का महत्व बताइये।
  51. प्रश्न- सोडियम का भोजन में क्या महत्व है?
  52. प्रश्न- ताँबे का क्या कार्य है?
  53. प्रश्न- शरीर में फ्लोरीन की भूमिका लिखिए।
  54. प्रश्न- शरीर में मैंगनीज का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- शरीर में कैल्शियम का अवशोषण तथा चयापचय की संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- आहारीय रेशे का क्या अर्थ है? आहारीय रेशों का संगठन, वर्गीकरण एवं लाभ लिखिए।
  57. प्रश्न- भोजन में रेशेदार पदार्थों का क्या महत्व है? रेशेदार पदार्थों के स्रोत एवं प्रतिदिन की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- फाइबर की कमी शरीर पर क्या प्रभाव डालती है?
  59. प्रश्न- फाइबर की अधिकता से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  60. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा को तालिका द्वारा बताइए।
  61. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  62. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  63. प्रश्न-
  64. प्रश्न-
  65. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  67. प्रश्न- भोजन में मसालों की उपयोगिता बताइये।
  68. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  69. प्रश्न- 'भोज्य मिलावट' क्या होती है, समझाइये।
  70. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया से बनाये जाने वाले पदार्थों का वर्णन कीजिए तथा खमीरीकरण प्रक्रिया के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अनुपूरक व विस्थापक पदार्थों से आपका क्या अभिप्राय है? उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों का फोर्टीफिके शनकि स प्रकार से किया जाता है? वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भोजन की पौष्टिकता को बढ़ाने वाले विभिन्न तरीके क्या होते हैं? विवरण दीजिए।
  74. प्रश्न- अंकुरीकरण तथा खमीरीकरण किस प्रकार से भोजन के पौष्टिक मूल्य को बढ़ाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया किन बातों पर निर्भर करती हैं।
  76. प्रश्न- खमीरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  78. प्रश्न- 'आहार आयोजन' करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  79. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  81. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  82. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  83. प्रश्न- 'आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  85. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये। किशोरी का आहार आयोजन करते समय आप किन पौष्टिक तत्वों का ध्यान रखेंगे?
  86. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझते हैं?
  87. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  89. प्रश्न- कैटरिंग की संकल्पना से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
  90. प्रश्न- भोजन करते समय शिष्टाचार सम्बन्धी किन बातों को ध्यान में रखा जाता है?
  91. प्रश्न- भोजन प्रबन्ध सेवा (Catering Service) के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझाइए।
  92. प्रश्न- एक गृहिणी अपने घर में किस प्रकार सुन्दर मेज सजाकर रखती है? समझाइए।
  93. प्रश्न- 'भोजन परोसना भी एक कला है।' इस कथन को समझाइए।
  94. प्रश्न- केटरिंग सेवाओं की अवधारणा और सिद्धान्त समझाइये।
  95. प्रश्न- 'स्वयं सेवा' के लाभ तथा हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- छोटे और बड़े समूह में परोसने की विधियों की तुलना कीजिये।
  97. प्रश्न- Menu से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार के Menu को समझाइये।
  98. प्रश्न- बड़े समूह की भोजन व्यवस्था पर एक टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- कैन्टीन का लेखा-जोखा कैसे रखा जाता है? समझाइए।
  100. प्रश्न- बड़े समूह को खाना परोसते समय आप कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखेंगे तथा अपने संस्थान में एक लड़कियों के लिये कैंटीन की योजना कैसे बनाएंगे? विस्तारपूर्वक समझाइए।
  101. प्रश्न- खाद्य प्रतिष्ठान हेतु क्या योग्यताओं की आवश्यकता तथा प्रशिक्षण आवश्यक है? समझाइए।
  102. प्रश्न- बुफे शैली में भोजन किस प्रकार परोसा जाता है?
  103. प्रश्न- चक्रक मेन्यू क्या है?
  104. प्रश्न- 'पानी के जहाज (Ship) पर भोजन की व्यवस्था' इस विषय पर टिप्पणी करिये।
  105. प्रश्न- मेन्यू के सिद्धांत क्या हैं? विभिन्न प्रकार के मेन्यू के बारे में लिखिये।

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